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Jyoti
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Shiv Puran in Hindi
भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
भगवान शिव इस श्रृष्टि के पालन हार है , शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा-धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से ‘जीवन’ और ‘मृत्यु’ का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र –जीवन एवं कला के द्योतम हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है।
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शिव महापुराण : परिचय और 8 पवित्र संहिताएं
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‘रामचरितमानस’ में शिव
‘रामचरितमानस’ में तुलसीदास ने जिन्हें ‘अशिव वेषधारी’ और ‘नाना वाहन नाना भेष’ वाले गणों का अधिपति कहा है, शिव जन-सुलभ तथा आडम्बर विहीन वेष को ही धारण करने वाले हैं। वे ‘नीलकंठ’ कहलाते हैं। क्योंकि समुद्र मंथन के समय जब देवगण एवं असुरगण अद्भुत और बहुमूल्य रत्नों को हस्तगत करने के लिए व्याकुल थे, तब कालकूट विष के बाहर निकलने से सभी पीछे हट गए। उसे ग्रहण करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। तब शिव ने ही उस महाविनाशक विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। तभी से शिव नीलकंठ कहलाए। क्योंकि विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया था।
वेदों और उपनिषदों में ‘प्रणव – ॐ’ के जप को मुक्ति का आधार बताया गया है। प्रणव के अतिरिक्त ‘गायत्री मन्त्र’ के जप को भी शान्ति और मोक्षकारक कहा गया है।
परन्तु इस पुराण में आठ संहिताओं सका उल्लेख प्राप्त होता है, जो मोक्ष कारक हैं। ये संहिताएं हैं :-
- विद्येश्वर संहिता
- रुद्र संहिता
- शतरुद्र संहिता
- कोटिरुद्र संहिता
- उमा संहिता
- कैलास संहिता,न
- वायु संहिता (पूर्व भाग)
- और वायु संहिता (उत्तर भाग)
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भगवान शिव की कहानी
आज हम आपको अपने इस पोस्ट के माध्यम से भगवान शिव की महिमा का वर्णन कर रहे हैं। आशा करते हैं कि यह पोस्ट आपको अच्छा लगेगा ।
शिव पुराण के बारे में हमारे दिमाग में बहुत सारे प्रश्नन आते हैं , आइए बारी बारी से हम इसके बारे में बताने जा रहे हैं :-
शिव पुराण क्या है?
‘शिव पुराण’ का सम्बन्ध शैव मत से है। शिव पुराण में भगवान शंकर के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।
शिवमहापुराण में भगवान शिव और देवी पार्वती के बारे में और उनकी गाथा का विवरण पूर्ण रूप से दिया गया है। भगवान शिव से संबंधी सााी जानकारी शिव पुराण में मिल जाती है।
शिव पुराण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण
शिव – जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।
शिव पुराण में शिव की महिमा
शिवपुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन और भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान है।
शिव पुराण में श्लोक और स्कंध-
इसमें भगवान शिव और देवी पार्वती की गाथा का पूर्ण विवरण है जो कुल 12 स्कंध भागों में बंटा हुआ है। शिवपुराण के हर स्कंध में शिव के अलग-अलग रूपों और उसकी माहिमा आदि का वर्णन है। इस पुराण में 2 4 ,000 श्लोक है ।
तथा इसके क्रमश: 6 खण्ड हैं – 1. विद्येश्वर संहिताच; 2. रुद्र संहिता; 3. कोटिरुद्र संहिता; 4. उमा संहिता; 5. कैलास संहिता; 6. वायु संहिता।
6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन
- शिवपुराण के पहले स्कंध में शिवपुराण की महिमा का वर्णन है।
- शिवपुराण के दूसरे स्कंध में शिवलिंग की पूजा और उसके प्रकार का वर्णन है जिससे विद्येश्वर संहिता नाम से जाना जाता है।
- शिवपुराण के तीसरे स्कंध के पार्वती खंड में शिव-पार्वती की कथा का वर्णन है।
- शिवपुराण के चौथे स्कंध कुमार खंड में कार्तिकेय भगवान की कथा का वर्णन है।
- खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन
- शिवपुराण के पांचवे स्कंध युद्ध खंड में शिव जी द्वारा त्रिपुरासुर वध की कथा का वर्णन है।
- शिवपुराण के छठे स्कंध शतरुद्रसंहिता में शिव के अवतारों और शिव की मूर्तियों का वर्णन है।
- शिवपुराण के सातवें स्कंध कोटि रुद्र संहिता में द्वादश ज्योतिर्लिंग और शिव सहस्त्रनाम का वर्णन है।
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शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?
- पृथ्वी पर हर व्यक्ति किसी भी काम को करने से पहले उसके लाभ और हानि के बारे में सोचता है।
- हर व्यक्ति कार्य को करने से प्राप्त लक्ष्य के बारे में सोचकर तभी कार्य करता है।
- शिवपुराण के आरंभ में पुराण विशेष की महिमा और उसके पढ़ने की विधि के बारे में जानकारी दी गयी है।
- आईये हम आपको यह बतायेंगे कि शिव पुराण को पढ़ने से क्या लाभ होता है।
- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ता है उससे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। – अगर किसी व्यक्ति से अनजाने या जान-बूझकर कोई पाप हो जाए तो तो अगर वो शिवपुराण को पड़ने लगता है तो उसका घोर से घोर पाप से छुटकारा मिल जाता है।
- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ने लगते है उनके मृत्यु के बाद शिव के गण लेने आते हैं। – सावन में शिव पुराण का पाठ करने से उसका फल बहुत ही सुखदायी होता है।
shiv puran ki kahaniya in hindi
शिवपुराण को पढ़ने के दौरान बरते ये सावधानियां-
- कथा सुनने से पहले बाल, नाखून आदि काट लें और तन शुद्ध करके स्वच्छ कपड़े पहनकर ही शिव कथा सुनें।
- शिव कथा सुनने के समय के मन में भगवान शिव के प्रति पूरी श्रद्धा और आस्था हो और किसी के प्रति द्वेष भाव न हो। क्योंकि कहा जाता है कि अगर इस दौरान अगर किसी के मन में कोई गलत भाव होता है तो उसे इसका फल नहीं लगता।
- भगवान शंकर के व्रत का ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पालन करना चाहिए।
- व्रत के समय किसी की निंदा, चुगली न करें वरना व्रत का सारा पुण्य समाप्त हो जाता है।
- अगर बिना व्रत किए भगवान शंकर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सात्विक भोजन खाएं और तामसिक पदार्थों का त्याग करें और किसी भी तरह का नशा न करें।
- शिव कथा पूरी हो जाएं तो शिव पुराण और शिव परिवार का विधि व्रत पूजन करें।
भगवान शिव की पूजा करते समय ध्यान देने योग्य बातें
- शिव पूजन कर रहे हैं तो भोले की उपासना के लिए पूजन शुरू करने से पहले तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र।
- चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, पान और दक्षिणा एकत्रित कर लें।
- इससे आपको पूजा के दौरान बार-बार उठना नहीं पड़ेगा और ध्यान भी नहीं टूटेगा।
“HAR HAR MAHADEV “

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