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मैं और मेरी तनहाई
“वक्त का झोंका हवाओं का भी रुख मोड़ देता है,
अकेलापन तुम्हें खुद से जोड़ देता है,
और दिन के उजालों पर अपने कदमों पर खड़ा होना सीख लो क्योंकि अंधेरे में अपना साया भी साथ छोड़ देता है।”
अकेलापन आज के समय में सभी के पास होता है। बस फर्क सिर्फ इतना होता है कि किसी काम में दिखाया नहीं जाता है। डर सिर्फ इस बात का रहता है कि अगर किसी को इस बात का पता चला तो वह मेरा मजाक उड़ाए गा।
अकेलापन का ये सिर्फ मतलब नहीं होता कि प्यार में धोखा मिला हो इसलिए मैं अकेला हूं या अकेलापन महसूस कर रहा करता हूं। सिर्फ यही अकेलापन का एकमात्र हिस्सा है। अगर ऐसा बोला जाए तो मेरे हिसाब से यह गलत है।
मेरे हिसाब से अकेलापन उसको कहते हैं जो अपने अंदर की बातें चाहे दुख हो या सुख किसी के साथ शेयर नहीं करते चाहे वह आपके माता-पिता, भाई-बहन या अच्छे दोस्त ही क्यों ना हो?
लेकिन सबसे बदनसीब तो यही होते हैं जिनके पास यह सब होते हुए भी अपनी फीलिंग्स को शेयर नहीं करते हैं।इससे बड़ा अकेलापन और क्या हो सकता है?अब जरा उनके बारे में सोचो जिसके पास यह सब में से कोई एक चीज ना हो (माता-पिता भाई-बहन या दोस्त) वो कितने अकेले महसूस करते होंगे?लेकिन फिर भी खुश रहते हैं।
आज के समय में सब हकीकत से भाग रहे हैं कोई खुश रहने की जबरदस्त कोशिश करता है, तो कोई सिर्फ दिखावा करता है,तो किसी के पास समय नहीं है। आज के दौर में सब भाग रहे हैं। कहीं ठहरने का नाम नहीं ले रहे है ।
मैं अगर अपनी बात करूं तो सिर्फ मैं इतना ही कह सकता हूँ –
“ना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया हूँ,
हर किसी रिश्ते में खुद को गवाया हूँ,
शायद कोई एक तो कमी है मेरे वजूद में ,
तभी हर किसी ने हमें यूं ही ठुकराया है।
यह शायरी जिसने भी लिखी हो,यह शायरी मेरी पूरी जिंदगी बयां करता है। वह कहते हैं ना जो आदमी सोचता है वह होता नहीं और जो कभी सोचा नहीं होता वह हो जाता है।ठीक मेरे साथ भी वही हुआ, मैंने भी जो सोचा था वह हुआ नहीं और जो मैंने कभी सोचा नहीं था वह हो गया। यह साल मेरी जिंदगी का सबसे खराब साल रहा है। लेकिन यह खराब साल जाते-जाते मुझे बहुत कुछ सिखा गया। शायद मेरी जिंदगी के जीने का तरीका ही बदल दिया।खैर मैं अपने बारे में कुछ और नहीं लिखूंगा बस मैं इतना ही अपने बारे में कहूंगा-
“चुप-चाप रहता हूं मैं ,
जरा समझ रहा हूं सबको,
खुली किताब बना फिरता था मैं, अब मैं पढ़ रहा हूं सबको।”
मेरे हिसाब से अकेलेपन को तीन तरह से दूर किया जा सकता है। उम्मीद खुशी और सोच।यह तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
सबसे पहले ‘उम्मीद ‘आज के समय में उम्मीद किसी से करना मानो अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा अगर उम्मीद करना है तो सिर्फ अपने आप से करो यह कभी धोखा नहीं देगा।
अब बात करते हैं खुशी की जब हम किसी से उम्मीद लगाए रहते हैं और वह उस उम्मीद पर खरा नहीं उतरता तो फिर काफी दुख होता है। इसलिए सिर्फ अपने आप को खुश रखो, आपको जिस में खुशी मिले वो करो आप। अब इसका यह मतलब ये नहीं है कि खुशी के चक्कर में मतलबी हो जाओ।
अब बात करते हैं सोच को लेकर हमें पता है कि हमें यह करने से खुशी मिलेगी लेकिन हम यह करने से रुक जाते हैं। सोचने लगते हैं कि अगर यह करेंगे तो लोग क्या कहेंगे ,क्या सोचेंगे इत्यादि।
मैंने कहा था ना तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर इनमें से एक भी चीज की कमी आपके जीवन में है तो कभी भी अकेलेपन को दूर नहीं कर सकते यह मेरा सोच है हो सकता है आपका सोच मेरे सोच से अलग हो तो हमें जरूर बताएं।
“मुझ में और मेरी किस्मत में हर बार यही जंग है,
मैं उसके फैसले से तंग हूं।
और वह मेरे हौसलों से दंग है।”
Mai aur meri thanhaai :-
Story by :- Rakesh Kumar
Written by :- Rakesh Kumar

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