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Hindi Poem
नीचे हिंदी कविता की लिस्ट दी गई है आशा करता हूं कि आपको अच्छा लगेगा !!!!

Yaadon ka Mela Hindi Poem
यादों का मेला कविता
कुछ लोग सिमट कर रह जाते मेरे यादों के मेले में।
ग्राहक कितने आते-जाते पड़ता मैं नहीं झमेले में।
ये पता नहीं चल पाया कब सौदागर आकर चला गया।
मैं यादों के इस मेले में पहला व्यापारी छला गया।
बातों का ठेला सजा रहा दिल की तो बंद तिजोरी थी।
जब लोग सामने से गुजरे उनसे न जोरा-जोरी थी।
कब दिल को मेरे चुरा लिया पता मुझे न चल पाया।
इक झलक दिखा कर गया मुझे न रूप आँखों में ढल पाया।
शाम होते ही मेले से जब हर कोई फिर चला गया।
अपनी यादों का दीपक वो मेरी दुकान में जला गया
motivation kavita
मुश्किलें जरुर है, मगर ठहरा नही हूं मैं
मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नही हूं मैं
कदमो को बांध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो, अभी भटका नही हूं मैं
सब्र का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
दुश्मन से जरा कह दो, अभी गरजा नही हूं मैं
दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि चाहतें,
मोहब्बत से जरा कह दो, अभी बदला नही हूं मैं
साथ चलता है, दुआओ का काफिला
किस्मत से जरा कह दो, अभी तनहा नही हूं मैं….
माँ (काव्य)
रोज़ सुबह, मुँह-अंधेरे
दूध बिलोने से पहले
माँ
चक्की पीसती,
और मैं
घुमेड़े में
आराम से
सोता।
-तारीफ़ों में बंधी
मांँ
जिसे मैंने कभी
सोते
नहीं देखा।
आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है–
पिसती
चक्की थी
या माँ?
Manzil Hindi Poem
मंज़िल हिंदी कविता
हो इतने सहमे-सहमे क्यों,
बता किस बात का डर है।
चलो कुछ दूर संग मेरे,
जहाँ मंज़िल का भी घर है।
जब मैंने तो वर्षों से,
केवल मंज़िल तुम्हे माना।
तुम्हे बस प्यार करता हूँ,
तुम्हे बस यार ही जाना।
बस उम्मीद तुम रखना,
न तेरा हाथ छोडूंगा।
भरोसा है किया तूने,
भरोसा मैं न तोडूंगा।
बड़ी शिद्दत से चाहा है,
बड़ी शिद्दत से चाहूँगा।
मिलाकर तेरी मंज़िल से,
तभी मैं दूर जाऊँगा।
सपनों के गीत
Love Dream Poem
प्रेम के गीत लिखूं सपनों में लिख-लिख रोज मिटाता हूँ।
रात पास होती मेरे तुम सुबह नहीं तुझको पाता हूँ।
लड़ना और झगड़ना मुझसे प्यार में चलता रहता है।
सुबह नहीं पाता तुमको तो अश्रुधार ही बहता है।
चाँद सितारे कभी न देखें पलकों में तुम्हें छुपाता हूँ।
बस तार दिलों के मैं जोड़ूँ प्यार की बात बताता हूँ।
जाने-अनजाने कविता
जाने अनजाने ही सही तूने मुझसे प्यार किया।
मैं तनहा-तनहा रहती थी एक पल में सारी ख़ुशी दिया।
मायूसी रहती थी होंठों पर उन होंठों पर हंसी दिया।
तुम दूर नहीं जाना मुझसे तू मुझको अपना बना लिया।
मैं जन्मों साथ निभाऊंगी पहले ही तुझको बता दिया।
अहसान रहा तेरा मुझपर तू प्यार जो पहले जता दिया।
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार
प्यार पर कविता
Love Poem in Hindi
मेरी तुम्हारी यही एक कमी है
तुम प्यार करते हो मैं प्यार करता हूँ।
नहीं शिकवा गिला है किसी को किसी से
इज़हार करते हो इज़हार करता हूँ।
डरते अगर हम मुहब्बत न होती
इकरार करते हो इकरार करता हूँ।
कितने ही पहरे ज़माना लगाए
तुम भी न डरते हो मैं भी न डरता हूँ।
अपना ये सिलसिला अब तो जन्मों रहेगा
ऐतबार करते हो ऐतबार करता हूँ।
मतभेद कोई न आये इस मुहब्बत में
इंकार करते हो इंकार करता हूँ।
रिश्ते की एहमियत
जड़ों में ज़ख्म लग जायें
तो शाखें सूख जाती हैं,
मिले हों मन अगर
तो बातें रास आती हैं,
दो लोगों की ज़रूरत को
कोई क्या जान पाया है,
जुदाई एक दूजे की
अहमियत को बताती है ।
हौसला (काव्य)
कागज की नाव बही
और डूब गई
बात डूबने की नहीं
उसके हौसले की है
और कौन मरा कितना जिया
सवाल ये नहीं
बात तो हौसले की है
बात तो जीने की है
कितना जिया ये बात बेमानी है
किस तरह जिया
कागज़ी नाव का हौसला देखिये
डूबना नहीं।
तनहाई को निमंत्रण
तनहाई पास आ बोली मुझे अपना बना लो तुम।
मेरे आशियाने में ख्वाब अपना सजा लो तुम।
दिल तोड़ा तेरा जिसने उसे मैं जोड़ने आयी।
भुलाना है अगर उसको मुझे दिल में बसा लो तुम।
मैं ग़म इतना तुझे दूँगी उसे तुम भूल जाओगे।
पास जितना रहे उसके हो उससे दूर जाओगे।
गाँठ बंधन के सारे तो अभी है खोलना बाकी।
मेरा दावा रहा उस गाँठ से तुम छूट जाओगे।
तुमसे ही मैं हूँ
You Are My Love
तेरे होने से ही मेरा होना हुआ,
जो था बंज़र कभी वही सोना हुआ।
जब से पारस मेरा गैर हाथों गया,
तब से लेकर अभी तक ही रोना हुआ।
एक समय था सदा तुम मेरे पास थे,
स्वप्न यादों में अब तो संजोना हुआ।
लोग पूछें की कैसा तेरा था सजन,
रूप तेरा मैं कहता सलोना हुआ।
सोचकर प्रश्न ये बैठ रोता हूँ मैं,
पूछते जब तुझे कैसे खोना हुआ।
सुख-दुख | कविता (काव्य)
मैं नहीं चाहता चिर-सुख,
मैं नहीं चाहता चिर-दुख,
सुख दुख की खेल मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख !
सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन;
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन !
जग पीड़ित है अति-दुख से
जग पीड़ित रे अति-सुख से,
मानव-जग में बँट जाएँ
दुख सुख से औ’ सुख दुख से !
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न;
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन !
यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-अश्रुमय आनन
रे इस मानव-जीवन का !
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