Essay On Bhagat Singh in Hindi – शहीद भगत सिंह का नाम तो भारत के बच्चे बच्चे जानते ही हैं कि वे कितने वीर थे | स्कूल के बच्चों को भगत सिंह के बारे में बताया जाता हैं और उनके जीवनी पर निबंध लिखने के बोला जाता है, तो ऐसे में अगर आपको भी भगत सिंह के जीवन पर निबंध लिखना है तो आप नीचे भगत सिंह के जीवनी देख सकते हैं |

यहां पर आपको भगत सिंह के जीवन के बारे में पूरी जानकारी बताया गया है तो चलिए आइए दे हम जानते हैं शहीद भगत सिंह के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से भगत सिंह पर निबंध | Essay On Bhagat Singh in Hindi :-
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भगत सिंह पर निबंध (200 Word)
सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 ई० को पंजाब के ल लायलपुर जिले के बंगा गांव के एक किसी परिवार में हुआ था सरदार भगत सिंह का नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है | उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौन था | सरदार भगत सिंह का परिवार एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था | उनके परिवार पर 8 समाज वह महर्षि दयानंद की विचारधारा का गहरा प्रभाव था | भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता सरदार किशन सिंह एवं उनके दो चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह अंग्रेजो के खिलाफ होने वाले विरोध के कारण जेल में बंद थे | जिस दिन भगत सिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा कर दिया गया | इस शुभ घड़ी के अवसर पर भगत सिंह के घर में खुशी और भी फट गई थी, भगत सिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम भागो वाला रखा था जिसका मतलब होता है अच्छे भाग्य वाला बाद में उन्हें भगत सिंह कहा जाने लगा |
भगत सिंह का जीवन
भगत सिंह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांति कार्य संस्थाओं में कार्य करने लगे थे | डीएवी स्कूल से उन्होंने नौवीं की परीक्षा पास की थी 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद , उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारी होने लगी तो, वे लाहौर से भागकर कानपुर आ गए फिर देश की आजादी के संघर्ष में पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिए | भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया हुआ युवकों के लिए प्रेरणादायक बन गया था | भगत सिंह को हिंदी उर्दू पंजाबी तथा अंग्रेजी के अलावा बंगला भी आती थी , जो उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी | जेल के दिनों में उनके लिखे खत , वह लेखों से उनके विचारों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है, उन्होंने भारतीय समाज में भाषा धर्म जाति के कारण आई दूरियों पर दुख व्यक्त किया था |
भगत सिंह को फांसी
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुए जालियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि वे लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर , भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की | भगत सिंह अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर अलीपुर रोड दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके | बम फेंकने के बाद वहीं पर उन दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी , इसके बाद लाहौर षड्यंत्र के इस मुकदमे में भगत सिंह और उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 ईस्वी को फांसी पर लटका दिया गया था |
निष्कर्ष
भगत सिंह की शहादत से ना केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम को गति मिली , बल्कि नवयुवकों को के लिए भी यह प्रेरणास्रोत बन गए | वह देश के समस्त शहीदों के सिरमौर बन गए भारत और पाकिस्तान की जनता , उन्हें आजादी के दीवाने के रूप में देखती है, जिसने अपनी जवानी से ही सारी जिंदगी देश के लिए समर्पित कर दिए | आज भी सारा देश उनके बलिदान को बड़ी गंभीरता व सम्मान से याद करता है |

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