पहला नशा पहला खुमार अधूरी चाहतों का ये दिल वेकरार
” अधूरी चाहत ” – राकेश
मेरी चाहतों को नज़र लग गयी।
मेरी चाहत ख़्वाहिश बनकर रह गयी।
पता नहीं चला वह कब किसी और की चाहत बन गयी।
– राकेश
यह मेरी पहली और आख़िरी शायरी थी, जब मैंने उसे अंतिम बार देखा था।सबके लिए पहला क्रश (पहला प्यार) हमेशा खास होता है। मेरे लिए भी ख़ास था। मैं उसका नाम नहीं बता सकता , क्योंकि जो मुझे अच्छे से जानते हैं , वो शायद समझ गये होंगे ,कि मैं किसके बारे में बात कर रहा हूं ।
जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मेरी नज़रें उससे हट ही नहीं रही रही, मै उसमें खो चुका था।उसकी सादगी मुझे बहुत अच्छी लगी थी। उसकी मुस्कुराहट तो मेरे मन में छप चुकी थी। वह पढ़ने में भी अच्छी थी। उससे मै बात करना चाहता था, अपनी मन की बातें बताना चाहता था लेकिन नहीं बता पाया।
उस समय मै बहुत ही कमज़ोर और दुबला पतला था। ना तो मेरा कोई दोस्त था , और ना ही पढ़ने में मन लगता था क्यूँकि मै पहली बार अपने घर से दूर हॉस्टल में रह रहा था।
उसकी जितनी तारीफ़ की जाए काम होगी, वह बहुत ख़ूबसूरत थी। वह पहली लड़की थी , जिसकी मै तरीफ करता था। मेरे सभी दोस्तों को पता है की मै किसी और लड़की की तारीफ़ नहीं करता था।
ख़ास कर मै लड़कियों के सामने तो उनकी तारीफ़ कभी भूल के नहीं करता, नहीं तो उनका भाव सातवें आसमान में चढ़ जाता है। कुछ लड़कियां ऐसे लड़कों को चिपकू समझने लगती हैं इसलिए मै किसी की तारीफ़ नहीं करता।
उसको देखने के लिए मै अजीब हरकतें करता रहता था। जैसे जल्दी क्लास आ जाना, उसके जाने के बाद क्लास से जाना ताकि उसे देख सकूँ !!!
” चाहतों की दरिया ” – राकेश
धीरे धीरे समय बीतता गया, कुछ समय बाद मुझे पता चला की वह ऐसी लड़की थी , जिसका हर कोई दीवाना था। बहुत से लड़के उससे दोस्ती करना चाह रहे थे, मै तो इस रेस में था ही नहीं।
उस समय 2 ग्रुप थे, एक ग्रुप में हम जैसे कमज़ोर और नए बच्चे जो होस्टल में आए थे और दूसरे ग्रुप में सुमन और सुमित के ग्रुप के लड़के जो पहले से साथ में पढ़ते थे।उस समय सुमन, सुमित और मनीष में उतनी अच्छी दोस्ती नहीं थी। आज वो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं।
उसका मै इस क़दर दीवाना हो गया था की उसके लिए अब कुछ भी कर सकता था। मुझे लगा कि उसे पाने के लिए मुझे भी रेस में शामिल होना होगा , और टॉप करना पड़ेगा तभी कुछ हो सकता है, पढ़ना पड़ेगा और क्लास में आगे बैठना भी पड़ेगा। मै उसकी पसंद और नापसंद पता किया।
उसकी और मेरी पसंद नापसंद उस समय काफ़ी मिलती जुलती थी। जैसे उसे अक्षय कुमार पसंद है, कैटरीना पसंद है, मैगी पसंद है इत्यादि।
1 बात उसकी अच्छी लगती थी, वो ये की वो हमेशा हँसती रहती थी, और उसकी मुस्कुराहट ही मेरे लिए ख़ास थी।उसे संस्कृत में ज़्यादा नम्बर मिलते थे, पता नहीं कैसे?
जब मै पढ़ाई में टॉप 5 में आ गया तो मुझे लगा अब तो वो मुझे नोटिस करेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
हॉस्टल में रहते हुए हम लोगों का पढ़ाई का अंतिम साल आ गया था, मैंने मन में ठान लिया था की अब मै अपने मन की बात उसको बता के रहूँगा। मै जाने ही वाला था की उसके बारे में कुछ सुना इसलिए मै नहीं गया उसके पास। अब मुझे लग रहा है काश उस दिन किसी और की बात सुन के नहीं रुका होता उसे जाके अपने मन की बात कह देता।
शायद वो मान भी जाती और आज हम दोनो साथ होते, अगर नहीं भी होते तो मुझे ये ज़िंदगीभर का अफ़सोस नहीं करना पड़ता की उसे अपने दिल की बात भी नहीं बोल सका।
मैंने उसके साथ समय तो नहीं बिताया, लेकिन उसकी आवाज़ आज भी मै भूला। उसकी मुस्कुराहट आज भी मेरे दिल में बसी है। उसको देखे हुए आज मुझे 7 साल हो रहे हैं, लेकिन उससे बात होती है , वो भी सुमन के कारण। उससे 2 साल से बात हो रही है, लेकिन आज भी अपने मन की बात उसे नहीं कर सकता। वो मुझे दोस्त मानती है, दोस्त ही सही।
इसी बात पर ये कविताएँ जो मेरे जैसे है या जिन्हें अपना पहला क्रश नहीं मिल पाया। इनको मेरे 1 ख़ास दोस्त ने लिखा था मेरे लिए जो आज मै आपको बताने जा रहा हूँ –
जाने वो मेरी बेक़रारी को समझते क्यूँ नहीं,
जो मुझे महसूस होता है, वो उसे महसूस होता क्यूँ नहीं,
अपने प्यार से सींचते आया हूँ इस फूल को,
मेरे प्यार का ये फूल उसके दिल में खिलता क्यूँ नहीं।
हर पल उसके प्यार की गलियों में भटकता हूँ,
ना जाने वो भूल से भी वहाँ से गुज़रती क्यूँ नहीं,
मार चुका हूँ हर एहसास को उसके प्यार में,
इच्छाओं का ये एहसास फिर भी बिखरता क्यूँ नहीं।
– राकेश
मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं , शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं !!! मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गए , पूछा तो बोले यह मेरी लिखावट ही नहीं !!!
इसलिए मेरा मानना है की अगर आप किसी को पहली बार पसंद करते हैं, तो उसे अपने दिल की बात ज़रूर कहें । नहीं तो ज़िंदगी भर मेरी तरह इसी बात का अफ़सोस करते रहेंगे !!!
“लोग अफ़सोस से कहते हैं , कि हमारा कोई नहीं
ज़रा ये भी सोचिए कि हम किसके हुए”
Story by :- Rakesh Kumar
Written by :- Dinesh Singh
——-*********************************************——-
ये भी जरूर पढ़ें :-
मां की ममता बच्चों का प्यार – Mother’s Day Special By – Rakesh Kumar

I’m Rahul Founder of careerjankari.in , Career jankari is a free Hub for knowledge about different fields of education and current affair news .
We first started as a local magazine in 2013 and in 2019 we started our online journey to severe the world with the most and unbiased news & educational Blog .
1 thought on “पहला नशा पहला खुमार अधूरी चाहतों का ये दिल वेकरार – राकेश”