तु ही मेरा कल हैं तु ही मेरा आज : Father day special

“मुझे रख दिया छाँव में खुद जलते रहे धूप में ,

मैंने देखा है ऐसा एक फरिश्ता अपने पिता के रूप में ” –

– Rakesh

संसार मे माँ के बारे मे बहुत सारी बाते कही गई है लेकिन पिता के बारे मे कम कहा गया है ऐसा क्यों? रामायण जो भी पढ़ा या जानता होगा, उसमे एक छोटी सी बात कही गयी है , कि पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है।

मां अगर जन्म देती है , तो उस बच्चे को पहचान उसका पिता देता है।इसलिए किसी ने क्या खूब कहा है:-

” बेमतलब सी इस दुनिया में वो ही हमारी शान है, किसी शख्स के वजूद की , पिता ही पहली पहचान है ” !!!

– Rakesh

पिता और पुत्र/ पुत्री का संबंध हमेशा दोस्त जैसा होना चाहिए ताकि वह अपने मन की बात खुलकर अपने पिता के सामने रख सके।

लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण मैं और मेरे पिता एक अच्छे दोस्त कभी भी नहीं बन पाए । सिर्फ दोस्त बन पाया। मेरे और पिताजी में किसी बात की कमी थी तो वह समय था। बचपन में जब सबसे ज्यादा मुझे उनकी जरूरत थी , तब वह मेरे पास नहीं थे और जब उनको सबसे ज्यादा मेरी जरूरत थी तो मैं उनके पास नहीं था।

मैं अपने पिता से बहुत प्यार करता था, लेकिन मैंने यह बात कभी भी उनसे नहीं कहीं और शायद अब कभी नहीं पाऊंगा।।।

मेरे पिताजी बहुत साधारण व्यक्ति थे, बस उनके कुछ गलत दोस्तों के कारण गलत चीजो (शराब सिगरेट आदि) की उन्हें आदत लग गई। बस यही कारण के चलते मेरे और उनमें हमेशा बहस होती थी। एक बार बहस इतनी बढ़ गई कि मेरे और उनमें बात किए हुए काफी दिन हो गया था । इसका यह मतलब नहीं कि वह मुझसे प्यार नहीं करते थे वह मुझसे बहुत प्यार करते थे लेकिन उन्होंने भी जाहिर नहीं किया।
मुझे आज भी याद है पापा ने मुझे सिर्फ एक बार ही थप्पड़ मारा था पूरे जिंदगी में,क्योंकि उनसे ज्यादा तो दादाजी से थप्पड़ खा चुका था।

बचपन में जब मां की तबीयत खराब थी तब सबसे ज्यादा मुझे पापा की जरूरत थी लेकिन वो मेरे पास नहीं थे। वो मां के पास थे । लेकिन जब मां ठीक हो कर घर आ गई थी फिर भी वो मुझे समय नहीं देते थे। कभी कभी उनसे मिले मुझे महीना हो जाता था।
जब भी मां मेरा या मेरी बहन का जन्मदिन मनाती थी तब पर भी वह हमारे साथ नहीं रहते थे सिर्फ पैसा किसी के द्वारा भेज देते थे।
अगर उस दिन गलती से घर पर रह जाते थे तो हमारे जन्मदिन में शामिल नहीं होते थे। हमारे साथ उनका एक भी फोटो नही मिल सकता है, बाकी सबके साथ मिल सकता है। मैं हमेशा उनके साथ फोटो खिंचवाना चाहता था लेकिन वो मना कर देते थे या डांट देते थे।
पापा बहुत साफ दिल के इंसान थे उन्हें अगर कोई भी चीज किसी के बारे में बुरा लगता था तो वह सामने से बोल देते थे ऐसा नहीं था कि उनके सामने कुछ और और उनके सामने कुछ और कहते थे। उनमें जिद्दी पन और गुस्सा भरा रहता था। वह किसी की बात नहीं सुनते थे,यहां तक कि मेरी बात भी नहीं सुनते थे।
जिद्दी होना अच्छी बात है लेकिन हद से ज्यादा जिद्दी होना यह गलत बात है। वह हद से ज्यादा जिद्दी थे वह नुकसान उठाकर भी काम करते थे जो उन्हें पसंद आता था वही करते थे।
हम दोनों कभी भी एक दूसरे को समझ ही नहीं पाए। न ही वो जान पाये कि मेरे मन में क्या है और न ही मैं जान पाया कि उनके मन में क्या है?

2017 से उनका तबीयत खराब रहने लगा। वह मुझे कभी भी अपने डॉक्टर से मिलने साथ नहीं ले जाते थ। वह अपने दोस्त के साथ जाते थे लेकिन जब उनका दोस्त उनके साथ नहीं जाने लगा तब वो मुझे मजबूरी ले जाने लगे।


जब मैं उनके डॉक्टर से पहली बार मिला तब उन्होंने मुझे पापा के बारे में बताया कि उन्हें क्या-क्या हुआ है? डॉक्टर ने बोला उनके पास मुश्किल से 6 महीना है उससे ज्यादा उनके पास समय नहीं है।मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं , कहां जाऊं किसे बताऊं क्या बताऊं? यह बात न हीं मैं पापा को बोल सकता था, न हीं मम्मी को और न ही दादी को बता सकता था। मैने यह बात सिर्फ और सिर्फ दादाजी को बतया था।


किस्मत ने भी क्या खेल खेला जब हम दोनों एक दूसरे को समझने लगे थे तो उनके पास एक बार फिर मेरे लिए समय नहीं था।पहले भी हमने कहा था कि अगर हम दोनों में अगर किसी बात की कमी है तो वह सिर्फ और सिर्फ समय का है। मैं उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा। मैंने पापा से आखरी बार 2019 होली में की थी होली खत्म होने के बाद मुझे पटना आ गया 2 दिन बाद मुझे फोन आया कि पापा का तबियत खराब है ज्यादा मैं जब तक वहाँ पहुंचता तब तक वह जा चुके थे। काश मैं कुछ दिन और रुक जाता तो यह सब नहीं होता मुझे पता है कि मैं एक अच्छा बेटा कभी नहीं बन पाया। काश मैं उन पर ध्यान पहले से देता तो यह दिन नहीं आता।

“जाते जाते वो अपने जाने का गम दे गये…
सब बहारें ले गये रोने का मौसम दे गये…
ढूंढती है निंगाह पर अब वो कही नहीं…
अपने होने का वो मुझे कैसा भ्रम दे गये…
मुझे मेरे पापा की सूरत याद आती है…
वो तो ना रहे अपनी यादों का सितम दे गये…
एक अजीब सा सन्नाटा है आज कल मेरे घर में…
घर की दरो दिवार को उदासी पेहाम दे गये…
बदल गयी है अब तासीर, तासीरी जिन्दगी की…
तुम क्या गये आंखो में मन्जरे मातम दे गये “…!!!

-Aman Rahul [ @admim ]

इसलिए मैं हमेशा कहता हूं पिता और पुत्र /पुत्री को हमेशा दोस्त बनकर रहना चाहिए ,एक दूसरे को समझना चाहिए। पिता का काम सिर्फ पैसा देना नहीं होता है और बच्चों का काम से पैसा लेना नहीं होना चाहिए इसलिए कम से कम आज से यह वादा तो कर सकते हैं या वादा नहीं तो कोशिश तो कर ही सकते हैं कि मैं अपने पापा का सबसे अच्छा दोस्त बनकर दिखाऊंगा।

किसी ने क्या खूब कहा है:-

“पिता नीम के पेड़ जैसा होता है उसके पत्ते भले ही करवे हो पर वो छाया ठंडी देता है”


– Rakesh

“मां-बाप के पास बैठने के दो फायदे हैं -एक आप कभी बड़े नहीं होते दूसरा मां बाप कभी बूढ़े नहीं होते”

Happy Father’s Day….

  • Story by :- Rakesh Kumar [ real-story ]
  • Written by:- RAKESH KUMAR
  • Published by :- AMAN RAHUL [ @admin-career jankari ]

__________________________________________________________

ये भी जरूर पढ़ें :-.

मां की ममता बच्चों का प्यार – Mother’s Day Special By – Rakesh Kumar

इसी तरह की और भी रोचक रियल लाइफ से जुड़ी स्टोरी पढ़ने के लिए हमसे जुड़ें रहे ।

– अगर आपको भी अपनी कोई स्टोरी पब्लिसिड कराना हो तों हमसे संपर्क करें ।

Email Us : [email protected]
WhatsApp us

_visit Contact us sanctions of Home page for any more enquiry
CONTACT US
AMAN RAHUL career JANKARI CEO & Founder

I’m Rahul Founder of careerjankari.in , Career jankari is a free Hub for knowledge about different fields of education and current affair news .

We first started as a local magazine in 2013 and in 2019 we started our online journey to severe the world with the most and unbiased news & educational Blog .

Leave a Reply